Friday 27 March 2015

                                             अनुच्छेद 66(अ) :अनुष्का

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सूचना प्राद्योगिकी कानून के अनुच्छेद 66(अ) को निरस्त किया है ये कहते हुए कि इससे अभिव्यक्ति की आजादी छीन रही है। महज दो दिन बाद ही समूचा भारत अभिव्यक्ति की आजादी का लुफ्त उठा रहा है यह बिना जाने समझे कि भारत के वर्लड कप से बाहर होने के केस में नामजद अनुष्का के लिए ये भद्दे और निम्न स्तर के 'वायरल' कहे जाने वाले जोक्स उसकी अस्मिता को तार तार कर रहे हैं।

थोडा तो ठहरिए। थोडा तो सोचिए। बिना महिलाओं और अंगों की छीछालेदर के भी मजाक हो सकता है। डब्ल मिनिंग सेक्स कॉमेडी के अलावा भी कॉमेडी हो सकती है। आखिर,बिना महिलाओं के इज्जत को तार-तार किए कुछ अच्छा नहीं हो सकता है? क्या यार लडकियों,किसी को कोई आपत्ति नहीं होती?

 ओहो,सोशल मिडीया पर आपत्ति जता कर हासिल भी क्या कर लोगी,ये सोच रही होगी? है न!! सोचो,सोचो। बस लेख में पितृसत्ता वैगेरह की बातें ढकेलना।

मैं भी गधा,कहाँ सिर लडा रहा हूं। चलो, ठीक है आईपीएल शुरु होते तो अनुष्का फिर से भाभी बन ही जाएगी!!
जय हो।

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