Friday, 15 May 2015

Differences between cloud and dedicated servers


 There’s a rapid expansion in the number of businesses getting online and multiple solutions are now being provided by the hosting industry to them in order to help them host their data on the right server as per their needs. If you are a startup, there are two major hosting options available to you- cloud servers and dedicated servers.
In cloud server you don’t need to buy and maintain any hardware as everything is ‘handled’ by the service provider, whereas the user rents or buys the server, software and other resources from the web hosting provider in dedicated server.
To decide which option is right for your business, it is essential to understand basic differences between them so as to take the right decision:

1. Availability

Cloud servers never go down as in case of any issue, one of the multiple nodes takes over the workload of the failed node automatically and this ensures zero downtime and maximum network uptime for your website and application.
With dedicated servers, there’s risk of downtime and hardware failure as they do not have multiple nodes to share the load.

2. Scalability of resources

Increase or decrease of allotted resources – computing cores, RAM, and storage, as per workloads, is very easy and simple with cloud server.
When it comes to dedicated server, rigid specifications are there and scaling of resources is a bit difficult and time consuming task.

3. Safety and security

With cloud servers, you have to trust your provider for the services and for taking adequate measures for security. Cloud service providers ensure data safety through dedicated IT support, secure and encrypted solutions, firewalls, and facilitate backup recoveries.
But in dedicated servers, you yourself need to take essential measures to secure your sensitive and confidential business information.

4. Cost-efficiency

Hourly resource-based billing of cloud servers are typically pay as you go, that means you pay only for the computing resources that you actually use. With cloud servers, bandwidth, SQL storage and disk space offered are bit expensive, but they are relatively cheaper and abundant with dedicated servers.
Dedicated servers are generally billed monthly and you have to pay a consistent amount irrespective of how much server and resources you actually use.

5. Level of control

In cloud server, one does not have complete control and is limited to offerings provided by the service provider.
However, a dedicated server offers complete control over the server as one can add applications, programs and performance enhancing measures to the machine

Thursday, 16 April 2015

नेट न्‍यूट्रलिटी : अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरा ।

नेट न्‍यूट्रलिटी : अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरा ।
सबसे पहले नेट की कार्यशैली को संक्षेप में समझा देता हूँ । अभी तक जो व्यवस्था भारत में लागू है उसके तहत ग्राहक इन्टरनेट के उपयोग के लिए किसी भी सेवा प्रदाता कंपनी का कनेक्शन लेता है तथा उसकी उपलब्ध योजनाओं में से अपने लिए उपयोगी प्लान का चुनाव करके उसका उपयोग करता है । नेट प्रदाता कंपनी उपभोक्ता द्वारा ख़रीदे गए या पोस्ट पेड में चुने गए प्लान में से जितना का उपयोग उपभोक्ता इंटरनेट के लिए करता है वह डाटा उसके डाटा खाता से कंपनी काटती है । उदहारण के तौर पर अगर 1 GB का रिचार्ज उपभोक्ता ने कराया तो वह 1GB डाटा के उपयोग का अधिकारी है । उपभोक्ता कौन से वेब साईट पर सर्फिंग करता है या कौन सा APPS का इस्तेमाल करता है इससे इन्टरनेट सेवा प्रदान करने वाली कंपनी को कोई लेना देना नहीं होता है और वह चुनी हुई स्कीम यानी अगर 2 G या 3G में से जिसका चयन किया है उसकी स्पीड से उपभोक्ता को सर्फिंग करने की आजादी है ।
परन्तु अब नेट सेवा प्रदान करने वाली कंपनिया इसपर नियंत्रण चाहती है और वे apps वाली कंपनियों से समझौता करने की अनुमति ट्राई से मांग रही है ।
नेट कंपनिया चाहती है कि जिस apps के साथ साम्झौता हो उसको प्राथमिकता दे तथा ज्यादा गति प्रदान करे लोड करने के लिए । इसी प्रकार नेट कंपनिया विभिन्न वेब साईट को अलग अलग कैटेगरी में विभाजित करने का अधिकार चाहती है ताकि उनके साथ समझौता करने वाली वेबी साईट के लोड होने की स्पीड ज्यादा हो और जो साईट या apps समझौता न करे उसकी लोड होने की स्पीड कम हो।
कंपनियों का तर्क है कि बहुत सारी वेब साईट अपनी तकनीक से बड़ी फाईल जल्दी लोड कर देती है । इसमें एक कमिटी का गठन ट्राई द्वारा किया गया है जिसकी रिपोर्ट पर 24 अप्रैल को सुनवाई होनी है और निर्णय होना है ।
नेट न्‍यूट्रलिटी: इंटरनेट की जीत, एयरटेल से फ्लिपकार्ट का किनारा ।
नेट की आजादी पर छिड़ा विवाद और गहरा गया है। अब इस विवाद ने कॉरपोरेट जगत में भी दीवार खड़ी करनी शुरू कर दी है। इसकी पहली बानगी मंगलवार को तब देखने को मिली जब ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने देश की सबसे बड़ी मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी एयरटेल कीइस योजना से किनारा कर लिया, जिसे नेट की आजादी के सिद्धांत के खिलाफ माना जा रहा है।
एयरटेल की इस योजना का नाम जीरो है और माना जा रहा है कि इस प्लेटफार्म पर सभी तरह के एप्स के साथ एक समान व्यवहार नहीं किया जाएगा। दो दिन पहले तक फ्लिपकार्ट एयरटेल के इस ढांचे का समर्थन कर रही थी।
मंगलवार को फ्लिपकार्ट की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि हम हमेशा से इंटरनेट की आजादी का समर्थन करते रहे हैं। आगे भी करते रहेंगे। लेकिन कंपनी एयरटेल के प्रस्तावित 'एयरटेल जीरो' प्लेटफार्म से अपने आपको अलग कर रही है। कंपनी के सह-संस्थापक सचिन बंसल का कहना है कि एयरटेल जीरो पर हमने विचार किया था। हमें ऐसा लगा था कि फ्री इंटरनेट की सेवा दे रहे हैं लेकिन हमारा मानना है कि यह आगे चल कर नेट की आजादी के सिद्धांत से समझौता करने जैसा है।
फ्लिपकार्ट की तरफ से इस तरह से हटने को एयरटेल के लिए बड़ा धक्का माना जा रहा है। असलियत में फ्लिपकार्ट जीरो प्लेटफार्म का इस्तेमाल करने वाली सबसे बड़ी कंपनी हो सकती थी। सरकार पहले ही इस बात के संकेत दे चुकी है कि वह एयरटेल जीरो योजना को लेकर बहुत खुश नहीं है। ऐसे में एयरटेल जीरो के भविष्य को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। नेट न्यूट्रलिटी पर जारी बहस में एक सुर में लोग एयरटेल को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
एयरटेल अंदर से भले ही जीरो को लेकर आशंकित हो लेकिन बाहर से यह दिखाने की कोशिश हो रही है कि यह प्लेटफार्म नेट की आजादी के खिलाफ नहीं है। मंगलवार को देर शाम कंपनी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि इस प्लेटफार्म को लेकर गलत सूचना फैलाई जा रही है। कोई भी कंपनी इस नेटवर्क का इस्तेमाल कर ग्राहकों को फ्री इंटरनेट सेवा दे सकती है। इस प्लेटफार्म पर नहीं रहने वाले एप्स को भी ब्लॉक नहीं किया जाएगा। इसे ग्राहकों से शुल्क वसूलने के लिए नहीं लाया जा रहा है।
इस विवाद ने एयरटेल जीरो की घोषणा के बाद ही तूल पकड़ा है। जीरो प्लेटफार्म को स्वीकार करने वाले एप्स को ग्राहक बगैर किसी शुल्क के इस्तेमाल कर सकेंगे। लेकिन जानकारों का मानना है कि जो भी कंपनी या एप्स इस प्लेटफार्म पर नहीं आएंगे उनके इस्तेमाल के लिए ग्राहकों से अलग से राशि वसूली जाएगी। इस तरह से एक ही फोन और एक ही मोबाइल सेवा कंपनी की सेवा पर दो इंटरनेट कंपनियों की सेवा के लिए अलग अलग शुल्क देना पड़ेगा।

Friday, 27 March 2015

                                             अनुच्छेद 66(अ) :अनुष्का

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सूचना प्राद्योगिकी कानून के अनुच्छेद 66(अ) को निरस्त किया है ये कहते हुए कि इससे अभिव्यक्ति की आजादी छीन रही है। महज दो दिन बाद ही समूचा भारत अभिव्यक्ति की आजादी का लुफ्त उठा रहा है यह बिना जाने समझे कि भारत के वर्लड कप से बाहर होने के केस में नामजद अनुष्का के लिए ये भद्दे और निम्न स्तर के 'वायरल' कहे जाने वाले जोक्स उसकी अस्मिता को तार तार कर रहे हैं।

थोडा तो ठहरिए। थोडा तो सोचिए। बिना महिलाओं और अंगों की छीछालेदर के भी मजाक हो सकता है। डब्ल मिनिंग सेक्स कॉमेडी के अलावा भी कॉमेडी हो सकती है। आखिर,बिना महिलाओं के इज्जत को तार-तार किए कुछ अच्छा नहीं हो सकता है? क्या यार लडकियों,किसी को कोई आपत्ति नहीं होती?

 ओहो,सोशल मिडीया पर आपत्ति जता कर हासिल भी क्या कर लोगी,ये सोच रही होगी? है न!! सोचो,सोचो। बस लेख में पितृसत्ता वैगेरह की बातें ढकेलना।

मैं भी गधा,कहाँ सिर लडा रहा हूं। चलो, ठीक है आईपीएल शुरु होते तो अनुष्का फिर से भाभी बन ही जाएगी!!
जय हो।

Monday, 23 March 2015

A READY RECKONER ON SECTION 66-A.



  A READY RECKONER ON SECTION 66-A.


Part A: Section 66A, IT Act. FAQs

What is Section 66A of the IT Act?
Defines the punishment for sending “offensive” messages through any other communication device like a mobile phone or a tablet.
What is the prescribed punishment?
A conviction can fetch a maximum of three years in jail and a fine.

Why is this law considered controversial?
 Definition of what is “offensive” is vague. The word has wide connotations, is open varied interpretations and is subjective.
How did the controversy begin?
The first petition came up in the court following the arrest of two girls in Maharashtra by Thane Police in November 2012 over a Facebook post.
How frequently has 66A been used?

 Most cases of arrest were reported in 2012 but many more have happened since then.
What are the grounds for the challenge?

 a. Challenges extremely wide parameters, which allow whimsical interpretations by agencies.
b. Most of the terms used in the section have not been specifically defined under the Act.
c. That it is a potential tool to gag legitimate freedom of speech.
d. Goes beyond the ambit of “reasonable restrictions” on Constitutional freedom of speech.
What has the court said so far?
a. The Supreme Court accepted the contention that the provision was “very widely drafted.
b. SC agreed it gave arbitrary powers to police officers to make arrests.
c. Nudged by the SC , Centre issued guidelines in January 2013, intended to prevent misuse of the provision.
d. Guidelines mandated only senior police personnel could order arrests under this section.


PART B: SECTION 66A, IT ACT: ALLEGED MISUSE

- March 2015: A class 12 boy arrested for allegedly posting an “objectionable” comment about ruling Samajwadi Party leader on Facebook.
- February, 2013: Sanjay Chaudhary, arrested for posting comments and caricatures of then PM and some other politicians on Facebook.
- April, 2012 -- Jadavpur University professor arrested for forwarding caricatures on WB CM Mamata Banerjee on Facebook
- September, 2012 – Cartoonist Aseem Trivedi arrested for allegedly posting an objectionable cartoon and content on his website.
October, 2012 – An industrialist in Puducherry is arrested for comments on twitter against the son of then Home Minister.
- November, 2012 – Two girls are arrested in Palghar, Maharastra for questioning the shut down of the city after the death of Bal Thackeray .
- November, 2012 – Two Air India employees detained for offensive content posted on a Facebook group against some Congress leaders.
- December, 2012 – A 20 year old man arrested in Rourkela for uploading what policed called were sensitive pictures on his Facebook account.

Thursday, 12 March 2015

Facebook Laws in India : A Mandatory topic



 Article Competition at Asian School of Cyber Law, Navi Mumbai  with collaboration with Government law college , Mumbai (pages from Diary).

 Is it legal to ridicule a Government official or Minister on
Facebook?
No.

This is a very serious offence and could get someone in jail for life! And unlike what

is shown in Hindi movies, life imprisonment means imprisonment for life and not

just 14 years! Ridiculing a Government official or Minister on Facebook could be

illegal under the following laws:
 
1. Sedition

2. Defamation

3. Sending offensive electronic messages


Plus, if the Minister or official is a woman, it could also be covered under indecent
 
representation of women.

What’s covered?
Facebook posts, messages, comments etc. Even “liking” or “sharing” these posts

could get a person into trouble.

                                                                  The details
                                                                            Sedition
Depending upon the exact content of the message or post, ridiculing Government

officials or Ministers could be termed as “sedition”, which is defined in section 124A

of the Indian Penal Code. Sedition refers to spoken words, written words, photos,

cartoons etc that could:

1. bring the Government into hatred or contempt,

2. excite disaffection (disloyalty and all feelings of enmity) towards the

Government
 
                                                                    Exceptions:
Comments expressing strong disapproval of the measures or actions of the

Government do not amount to sedition if they are:

1. with a view to obtain their alteration by lawful means,

2. without exciting or attempting to excite hatred, contempt or disaffection
 
                                                                Defamation
A comment that harms the reputation of a person comes under the definition of

defamation under section 499 of the Indian Penal Code.

A person’s reputation is harmed if the comment, photo cartoon etc does the

following in the estimation of others:

1. lowers the moral or intellectual character of that person

2. lowers the character of that person in respect of his caste or profession,

3. lowers the credit of that person,

4. causes it to be believed that the person’s body is in a loathsome or

disgraceful state.
 
                                                           Did you know?
1. Even companies, colleges, organizations can be defamed.

2. Sarcastic comments can also amount to defamation

                                          Sending offensive electronic messages
Sending offensive electronic messages is penalized under section 66A of the

Information Technology Act. The following types of posts will be covered under this

section:

1. posts that are grossly offensive (e.g. cause anger, displeasure, resentment)

2. posts that are menacing or threatening

3. posts that contain false information sent for the purpose of causing

annoyance, inconvenience, danger, obstruction, insult, injury, criminal

intimidation, enmity, hatred or ill will.

4. posts or messages sent for causing annoyance, or inconvenience,

5. posts or messages sent to deceive or to mislead about the origin of the

messages.

                                      Indecent representation of women
“Indecent representation of women” means the depiction of the figure or body part

of a woman in a manner that is indecent, derogatory or denigrating. Or which is

against public morality.

Posts, comments, pics etc. that indecently represent women are punished under

section 6 of the Indecent Representation of Women (Prohibition) Act.

                                                                
 
 
 
                                                       Some Cases
 

 
 
(a) Two Air India cabin crew members were arrested and jailed for 12 days for

posting “derogatory” remarks against the Prime Minister’s Office, the

national flag and the Supreme Court, while commenting on a strike by Air

India pilots. (India, May 2012).


(b) Ambikesh Mahapatra, a Chemistry professor at Jadavpur University,

as arrested for forwarding a cartoon featuring the West Bengal CM

MamataBanerjee. (April 2012, India)
(c)Jaya Vindyala, a lawyer and president of the Andhra Pradesh unit of
 
People's Union for Civil Liberties, was arrested for her comments

against A Krishnamohan, a Congress MLA from Chirala in Prakasam

district. Ms Vindyala had accused the MLA of being involved in child

trafficking, ganja mafia, sand mafia and land mafia. (Hyderabad, India,

May 2013)